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मुह्हबते (प्यार या दरार)

arya the king of own kingdom
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मुह्हबते (प्यार या दरार)

बात तक़रीबन बिस साल पुरानी है
आर्यन का जन्म 1994 के दिसम्बर में 20 तारीख को हुआ था

समय बीतते गया उम्र बढ़ते गया |
बच्चा दूध – बिस्कुट से भात -रोटी पे आ गया ।
फिर दाखिला हुआ स्कूल में ;
धीरे- धीरे दोस्ती हुई
कुल मिला के 6 लड़को की गैंग बन गयी
आर्यन , अमित , अभिषेक , अंकित, रॉकी और रंजन
शरारते करने में माहिर गैंग;

उम्र के हिसाब से पढाई में भी आगे बढ़ते गए
प्रथम से दसवी
दसवी से बारहवी
बारहवी के बाद

सब अपने -अपने लक्ष्य को पूरा करने निकल पड़े
कुछ बिहार से बाहर
तो कुछ बिहार में ही !

अंकित और आर्यन ही रह गए थे बिहार में
साथ खेलना , घूमना या यू कहे पूरा चक्कलस |

एक दूसरे से बात किये और साथ घुमे बिना दिन नही गुजरती थी

फिर एक नया दोस्त आ जुड़ा – यश

फिर तिकड़ी जमने लगी

सुबह से रात 9 बजे तिकड़ी जमती थी
चाहे जिधर रुख हो जाये बाइक का

कुछ महीनो बाद आर्यन को कुछ काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़ा
लेकिन व्हाट्सएप्प और फोन के जरिये संपर्क बना रहता था

1…2…3?
ये क्या ?
आर्यन का दिमाग ही शून्न हो गया था

अंकित और यश के बदलते व्यबहार को देखकर
तीसरा महीना पूरा होने के कगार पे पहुँचते ही
Whatsapp पे reply आना बंद हो गया था
phone try करने पे approx time Waiting ही
कभी फोन लग भी जाये तो receive नही किया जा रहा था

घंटे भर अलग नही रह पाने वाले दोस्त
आज आर्यन से काफी दूर हो गए थे
महीने में एकाध बार 2-4 मिनट बात करके
आर्यन देने लगा था अपने मन को सांत्वना…

काफी मस्सकत के बाद पता चला कि
अंकित और यश दोनों अपनी कैरियर बनाने में हो गए थे
ब्यस्त !
साथ ही साथ दोनों को
उनकी #लाइफ_पार्टनर मिल गयी थी
और सबसे बड़ी बात दोनों की पार्टनर आपस में सहेली थी

दोनों अपनी पार्टनर को पा कर काफी खुश थे
दोनों पहले से भी ज्यादा दिन भर साथ घूमते
और मस्ती करने लगे

ये देख आर्यन की ख़ुशी को चार चाँद लग गए

घर पहुचते ही party लेने की फ़िराक में
जल्दी ही आर्यन निकल पड़ा गांव की तरफ

लेकिन ये क्या?

आर्यन की पाँव की निचे की जमीं खिसक गयी
वहा की खवर सुनके

सुनने में आया की अंकित और यश अलग हो चुके थे
बिलकुल अलग
एक दूसरे को देख कर मुह फेर ले रहे थे
ईगो इनकी दोस्ती को जला कर राख कर चुकी थी
उनदोनो सहेलियों के आगे अति उत्तम छवि बनाने की होड़ में यश और अंकित कोसो दूर हो गए थे
काश ये दोनों साथ होते

दोस्तों वैसे तो है ये छोटा सा शब्द है मोह्हबत
लेकिन है बड़ी चीज

परी हो हुस्न की या हो मल्लिका
सलामी हम नही करते ||
हसीना हो या हो बोतल
गुलामी हम नही करते। |

हर दर पे जो झुक जाये
उसे सर नही कहते
भोले बाबा के दर पे जो जाये
बाबा उसे ना नही कहते

ईश्वर करे अंकित और यश की प्यार उनके
लाइफ पार्टनर सदैव साथ रहे
और ये दोनों फिर से दोस्त बन जाये

नोट:- ये सच्ची घटना है और आखो देखी
लेकिन पात्रो का नाही मुझसे सम्बन्ध है और न ही मेरे दोस्तों का

शेयर कीजियेगा अगर अच्छा लगे
ताकि किसी और की दोस्ती टूटने से बच जाये

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